उद्देश

मैने इन घटनाओं का विवरन इसलिए करना उचित समझा की हमारे परिवार के सदस्य प्रेरित होकर मंदिर में आये और बहूत सी नयी बातों का दुसरे परिवार के सदस्यों से मिलने पर हमारे परिवार की एवं मंदिर का इतिहास एवं महत्व जान सकें।


मै इस लेख के द्वारा रुडमल परिवार के सदस्य जो भारतवर्ष के विभिन्न शहरों में बसे हुए है, उनसे विनम्र निवेदन करता हॅंु की, कम से कम जो अभीं तक बेरी मंदिर में नहीं आये है, वो अवश्य ही अपने पुरे परिवार, बाल-बच्चो सहीत अवश्य ही कम से कम श्रावण के झुला उत्सव के दौरान अवश्य आवे। हम लोगों का परिवार एक मध्यम वर्ग से है, तो हमें इस बात पर गर्व है और होना भीं चाहिए की हमारे पूर्वजो ने इस मंदिर का निर्माण आज से करीब १२२ वर्ष पहले ऐसा ऐतिहासिक हेरिटेज टाईप का धार्मिक स्थान जो राजे-महाराजे अथवा बहोत ही धनाड्य टाटा बिरला जैसा परिवार ही निर्माण करवा सकता है, उन्होंने निर्माण करवाया। मेरा यह उद्देश है की परिवार के सब सदस्यों को मिलकर ओर ऐसा कुछ करना चाहिए की इस धरोहर को सवासौ साल तक और चला सके। हम आर्थिक रुप से मजबूत है और हमारे पास परिवार के बहोत से योग्य सदस्य है, जो सेवाभाव से काम करना चाहे तो यह काम बहोत ही आसान है। और इस विशेष स्थान का और काफी बढा रुप तैयार किया जा सकता है। आगे और निवेदन करुंगा की, प्रत्येक परिवार का सदस्य अपने रिश्तेदार, सगे-सम्बंधी, यार-दोस्त और हर मिलनेवाले परिचित आदमी से इसके बाबत बतलाये और वहॉं दर्शन करने के लिए अपने साथ लायें। अगर आप ऐसा भीं करते है, तो यह भी एक ठाकूरजी के प्रति सच्ची सेवा होगी।


जैसा की मैने उपर वर्णन किया की भिमेश्वरी देवी का मेला वर्ष में दो बार लगता है और लाखों की तादाद में वहॉं भक्त आते है, तो मैं इस लेख द्वारा प्रत्येक व्यक्ती से निवेदन करुंगा की, वे भी मंदिर में एक बाद जरुर जरुर दर्शन के लिए आवें।

धन्यवाद !

लेखक एवं प्रकाशक,
रविंद्रकुमार गुप्ता (मुम्बई)
98672 77888